गुरुवार, 30 अगस्त 2012

मंहगाई डायन की पदोन्नति !


 
नवंबर-२०१२
 



आज कई दिन बाद बाज़ार पहुँचा तो मंहगाई जी के तेवर बिलकुल अलग थे | वे हमें देखते ही खिलखिला उठीं और लपककर बोलीं,’हम आपको बहुत मिस कर रहे थे | इत्ते दिन बाद आपको देखकर कलेजे में ठण्ड पड़ गई कि अभी भी हमारे असल कद्रदान जिंदा हैं “ | मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए कहा,’आपके इस तरह हुमकने का राज क्या है ? क्या कोई बड़ा ठेका मिल गया है जो ठुमक रही हो ? मंहगाई जी ने उसी लय में बोलते हुए कहा ,”आप अपने को अपडेट क्यों नहीं रखते ? हमारे हालचाल जानने के लिए टमाटर जी और आलू जी से कभी मिल लिया करो | वैसे, यू नो,मैं अब थ्री-स्टार या फोर-स्टार नहीं रह गई हूँ | मेरा स्टेटस अब फाइव-स्टार वाला हो गया है |”

मैंने थोड़ा अनजान बनते हुए कुरेदा कि यह आप कैसे कह सकती हैं ? अभी-अभी रास्ते में हमें कुछ लोग खाली थैले ले जाते मिले हैं | वे कह रहे थे कि अब वे खुश रहेंगे क्योंकि मंत्री जी ने ऐसा ही कहा है | मंहगाई जी हमारी बात बीच में ही काटते हुए बोलीं ,”देखो, आप समझदार हैं ,इसलिए मैं आपको समझा रही हूँ,नहीं तो लोग हमसे मुलाक़ात करते ही हमें समझ जाते हैं और ऐसे-वैसे लोग तो भाग खड़े होते हैं| मैं उन्हें घास भी नहीं डालती | दर-असल जब से कुछ सामाजिक-दुश्मनों ने फिल्म बनाकर ‘मंहगाई डायन खाए जात है’ का ढोल पीटना शुरू कर दिया था,मुझे नए असाइनमेंट और क्लाइंट मिलने कम हो गए थे | अब जबसे माननीय मंत्री जी ने यह कहते हुए हमें अभयदान दे दिया है कि वे हमारे परफोर्मेंस से खुश हैं,सच्ची में,मुझसे पूनम पांडे भी जलने लगी है |“

मैंने उन्हें टोका,”आप मंत्री जी के बयान को ठीक से समझी नहीं हैं | जहाँ तक मेरी जानकारी है ,सरकार-बहादुर ने बहुत पहले से ऐलान कर रखा है, “हाथ का साथ,आपके साथ” तो फ़िर यह तो हमारे ही साथ रहेगा ,किसी और के साथ नहीं |” उन्होंने चहकते हुए कहा कि आप कह तो ठीक रहे हैं पर ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं.सरकार जी का मतलब है कि हाथ आपके साथ रहेगा,गर्दन पर भी तो हो सकता है | इसलिए भरम आपको है,हमको नहीं | हम तो अब बड़ी सेलिब्रिटी हो गई हैं,और हाँ,हमारे दर्शन करने हों तो टमाटर जी या आलू जी से अप्वाइंटमेंट ले लेना | मैं बहुत बिजी हूँ,चलती हूँ |”

मैं बाज़ार के दरवाजे से ही लौट पड़ा | यह सोचकर इत्मीनान हो रहा था कि चलो,बहुत दिन बाद सही,हमारे किसान भाई ही खुश हो लेंगे | लौटते हुए रास्ते में किसान जी मिल गए | हमने उन्हें टपक से बधाई दे दी तो उन्होंने मुँह बिसूरते हुए कहा कि भाई साहब ,हमारे जले में काहे को नमक लगाते हो ? हमें फायदा मिलने की बात सुनते ही बिचौलिया बाबू ने अपना कमीशन दोगुना कर दिया है |वह कह रहा है कि इससे मंत्री जी खुश होंगे | अब भाई ,हम अपने माई-बाप को कैसे नाराज़ कर सकते हैं ?”


'जनसंदेश टाइम्स ' में २९/०८/२०१२ को प्रकाशित !


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