बुधवार, 30 जनवरी 2013

नासमझ हैं आयकर वाले !


31/01/2013 को जनवाणी में...
 

जब से हमने यह खबर पढ़ी है कि आयकर अधिकारियों के संघ ने एक बड़ी पार्टी के निवर्तमान अध्यक्ष को उनके काबिल अधिकारियों को धमकाने के लिए नोटिस दिया है,हंसी छूट रही है.ये लोग इतना पढ़-लिख कर अधिकारी तो बन गए पर व्यावहारिक ज्ञान के मामले में अभी शून्य हैं.ये लोग जिनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग कर रहे हैं ,ज़रा उनके बारे में ठीक से जानकारी भी रख लेते तो बेहतर होता.जब तक वे पार्टी के अध्यक्ष रहे,सिरदर्द बने रहे।अपने कार्यकाल में आये दिन कुछ तूफानी करने के चक्कर में वे ऐसा कुछ कह देते थे कि बाद में उनके प्रवक्ता को सफ़ाई देनी पड़ती थी कि दर-असल उनके बयान का मतलब वो नहीं था।जब मीडिया वाले प्रवक्ता से ही पूछ बैठते कि आखिर वही उसका मतलब बता दें तो वह बगलें झाँकने लगता था।बहरहाल,न चाहते हुए भी ऐसे उपयोगी अध्यक्ष से पार्टी को हाथ धोना पड़ा।यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि पद छोड़ने वाला छोड़ना नहीं चाह रहा था और न ही पार्टी वाले उसे छोड़ना,पर अंततः हालात ऐसे बने कि किसी का भी सोचा हुआ नहीं हुआ।

अध्यक्ष होने की हैसियत वे बखूबी जानते थे और यह पद उनको अपनी पार्टी के कारण नहीं कुछ नामुराद आयकर अधिकारियों की वजह से गंवाना पड़ा।बारात एकदम तैयार थी और उनके सिर पर सेहरा बंधने ही वाला था कि उनकी कंपनी के यहाँ छापे डालकर सब गुड़-गोबर कर दिया गया।इसका असर यह हुआ कि घोड़ी पर किसी और को दूल्हा बनाकर बैठा दिया गया।ऐसे में किसी का भी पेंच ढीला हो सकता है।इसलिए अपने लोगों के बीच पहुँचते ही निवर्तमान अध्यक्ष ने अपनी भड़ास जमकर निकाली है ।आख़िरकार वे एक बड़ी पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अभी भी उनकी उपयोगिता उसी तरह बरक़रार है ।

उन्होंने यह बिलकुल सही फ़रमाया है कि आयकर वाले अपनी हद में रहें।ये छापे आम आदमियों के लिए ही होते हैं और कोई नेता आम कैसे हो सकता है ?ये छापे खासकर तब ज्यादा जोर मारते हैं जब कोई सत्ता से बाहर होता है।दुर्भाग्य से वे और उनकी पार्टी पिछले काफी समय से सत्ता से बाहर हैं पर हमेशा ऐसा ही नहीं रहेगा।कई ज्योतिषियों और राजनैतिक पंडितों ने हिसाब लगाकर बताया है कि आने वाले चुनावों में उनकी सरकार बनने वाली है।ऐसे में आयकर अधिकारियों को उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर उन्हें भी दंड मिलेगा।अगली सरकार उनकी आने पर ऐसे अधिकारी नापे जायेंगे और तब उनका बचाव आज के हाकिम नहीं कर पाएंगे।

निवर्तमान अध्यक्ष अपने भारी-भरकम वज़न के हिसाब से अपने रुतबे को भी जानते-समझते हैं पर ये नादान आयकर अधिकारी यह हकीकत नहीं समझते।वैसे भी उन्होंने कहा है कि अब वे पद-मुक्त हैं और कुछ भी कहने-करने को स्वतंत्र हैं।दरअसल ,उन्होंने जो कहा है ,उनकी पार्टी की मूल अवधारणा के खिलाफ़ नहीं है,बस वे इस बात को सार्वजनिक कर गए,यही चूक हो गई।अब जो भी समझना है वह सम्बंधित अधिकारियों को समझना है।छापे मारने वाले अधिकारी ज़रूर अनाड़ी रहे होंगे और उन्हें अपने कामकाज से कहीं अधिक राजनीति की समझ होनी चाहिए।वे भी अगर सीबीआई की तरह काम करेंगे,तो राजनीति करने कौन जायेगा? राजनीति में प्रवेश करने का मूल आशय यही है कि व्यक्ति आम से ख़ास हो जाता है,उसे सभी तरह का अभयदान मिल जाता है,वह कानून बनाता है,कानून उसके ऊपर लागू नहीं होता।ऐसी व्यावहारिक बातें भी न समझने वाले निरा मूढ़ ,अज्ञानी व अपराधी हैं और वे दंड के सर्वथा योग्य हैं।

हम तो यह छोटी-सी बात समझते हैं पर उन नासमझ अधिकारियों को यह कौन समझाए ?
 
जनसन्देश टाइम्स में ३०/०१/२०१३ को प्रकाशित  !

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