बुधवार, 18 दिसंबर 2013

समर्थन लेने की शर्तें !

18/12/2013 को जन संदेश में !


 
आम आदमी पर प्रेम बरसाने वाले प्रिय बंधु  !
 
बिना माँगे ही अपना हाथ हमारे गले में डालने से हम बहुत अभिभूत हैं।इस बिना शर्त समर्पण के बदले हम भी कुछ देना चाहते हैं।रिटर्न गिफ्ट के रैपर में लिपटी हुई हमारी शर्तें ये रहीं :
 
आप के विधायक रोज पैदल ही विधान सभा आयेंगे।इससे सड़कों में जाम नहीं होगा,ईंधन की बचत होगी,पर्यावरण स्वच्छ होगा और उनका स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा।कोई भी विधायक विधान सभा की कार्यवाही के दौरान बिना हमसे पूछे राजधानी नहीं छोड़ेगा,क्योंकि पता नहीं कब उसके हाथ की ज़रूरत हमें पड़ जाए ! अगर आपका समर्थन है तो लगना भी चाहिए कि आप पूरी तरह हमारे साथ हैं।आपके किसी नेता को सरकार की नीतियों के खिलाफ़ सड़क पर मजमा लगाने की इज़ाज़त नहीं होगी।जो भी बात करनी होगी,गुप्त बैठक से तय कर ली जाएगी।इससे जनता में सन्देश जायेगा कि सरकार मजबूती से अपना काम कर रही है।कोई भी विधायक यदि अपने परिवार के साथ बाहर निकलता है तो खाने-पीने का खर्च वह नहीं देगा,ताकि लगे कि  विधायक आम आदमी से ही ताल्लुक रखता है।बिजली के दामों में पचास फीसद कटौती लागू करने के लिए होली या दीवाली में बिजली कंपनियों से मिलने वाले उपहारों पर पूरी तरह रोक होगी।घर में की गई हर खरीदारी को ऑनलाइन डालना होगा ताकि जनता जान सके कि आम आदमी की सरकार चलाने वालों का हिसाब बिलकुल पारदर्शी है। 
 
सरकार की तरफ से विधान सभा में जब भी कोई प्रस्ताव लाया जायेगा,आपके लोग दोनों हाथों को समुचित ढंग से पीटकर तालियाँ बजाने का उपक्रम करेंगे।इस तरह विपक्ष को हमला करने से हतोत्साहित किया जा सकेगा।लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए झाड़ू पर अनुदान दिया जायेगा,इससे हाथ और झाड़ू में बेहतर तालमेल होगा। हमारे विधायक टोपी लगायेंगे पर आपके विधायकों को यह अधिकार नहीं होगा।इससे जनता को टोपी पहनाने में आसानी होगी और हमें अनुभव भी मिलेगा।
ये सभी शर्तें खुली हुई हैं और इनका घटना-बढ़ना हमारे ही हाथ में रहेगा।अगर इन शर्तों पर आप राजी हैं तो लगे हाथ इस बात का हलफनामा भी दे दें ताकि हम जनता से आपके बिना शर्त समर्थन की मंजूरी ले सकें ! बस ,सरकार बनाने की यही हमारी शर्त है।
 
आपके बिना शर्त समर्थन से सरकार बनाने की  उम्मीद में एक आम आदमी।

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शर्त गयीं गर्त में

अनुभवी अंतरात्मा का रहस्योद्घाटन

एक बड़े मैदान में बड़ा - सा तंबू तना था।लोग क़तार लगाए खड़े थे।कुछ बड़ा हो रहा है , यह सोचकर हमने तंबू में घुसने की को...