मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

भ्रष्टाचार की हेल्पलाइन !

कार्यालय पहुँचते ही भ्रष्टाचार जी से मुठभेड़ हो गई।हमने उन्हें धर दबोचा-अब कहाँ बचोगे बच्चू ! अब तुम्हें जहन्नुम तक नहीं छोड़ा जायेगा।बीत गए तुम्हारे दिन !’ मेरी बात सुनकर भ्रष्टाचार जी ने पान की पीक थूकते हुए ज़ोर का ठहाका मारा और कहने लगे-तुम वाकई अकल’मंद’ हो गुरु ! हम भी खबरों पर ध्यान देते हैं या यूँ कहिये तुमसे ज़्यादा।भ्रष्टाचार के लिए बकायदा ‘हेल्पलाइन’ शुरू की गई है,तुमने यह नहीं सुना ?अभी तक तो हम इसमें अकेले ही योगदान करते थे,अब सरकारी सहायता और अनुदान भी मिल जायेगा’।


मैंने आँखें फाड़-फाड़ कर उन्हें कई बार देखा।अंततः उनमें गजब का कांफिडेंस देखकर हमारा वाला हिल गया।मैंने फ़िर भी सवाल दागा,’मगर यह तो सब तुम्हारे खात्मे के लिए किया जा रहा है।इसके लिए बकायदा कार्यालय के बाहर नोटिस चस्पा होगी और ‘स्टिंग’ करने वाला अपने मोबाइल से सब कुछ रिकॉर्ड कर लेगा।ईमानदारी ने कहा है कि वह तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगी’।


‘उसने बिलकुल ठीक कहा है।’भ्रष्टाचार जी उसी रौ में कहे जा रहे थे,’अब तो सबको खुल्लम-खुल्ला पता चल गया है कि मोबाइल से लेन-देन की रिकॉर्डिंग होगी इसलिए हमें अब अपना मुँह खोलने की ज़रूरत ही नहीं रहेगी।अभी तक अपनी फाइल पास करवाने वालों को हम सुविधा-शुल्क लेने के तरीके बताते थे,अब जिसे अपने काम के होने की गारंटी चाहिए,वो कैसे भी करके हमें देगा।अब यह उसका सरदर्द है।रही बात ईमानदारी के पीछा करने की,सो हम तो हमेशा चाहते रहे हैं कि हम आगे रहें और वो हमारे पीछे।यह तो हमारी खुशनसीबी ही है कि हमें किसी का पीछा करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी और हमारे बजट की रकम भी हमारी जेब में आ जायेगी।’


‘पर उसने तो यह भी कहा है कि तुम्हें जहन्नुम तक नहीं छोड़ेंगे’ मुझे अभी भी ईमानदारी की निष्ठा पर शक नहीं था।


‘भाई,देश की आज़ादी के बाद से हम यूँ ही नहीं आबाद हैं।हम तो जन्नत और जहन्नुम को समभाव से देखते हैं।हमें कोई फर्क नहीं पड़ता,मगर सोचिये अगर ईमानदारी हमारे पीछे-पीछे जहन्नुम तक आएगी तो क्या बेदाग रह पाएगी ?दरअसल,उसका मुझ पर विशेष स्नेह है और मेरे अस्तित्व के बगैर उसकी भी पहचान शून्य है।इसलिए गुरु,तुम हमारे पवित्र गठबंधन के बारे में निश्चिन्त रहिये।हमारे बीच तलाक की नौबत कभी नहीं आएगी’।इतना कहकर वे ढेर लगी फाइलों को हसरत-भरी निगाह से देखने लगे और हम अपना चिर-परिचित लटका हुआ मुँह लेकर आगे बढ़ गए।

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

जब तक आचरण से भ्रष्ट नहीं निकल बाहर होता तब तक राम जाने....जिसकी रगों में खून की जगह भ्रस्टाचार बह रहा हो उसे को रोक सकेगा ..रोकने वाला भी पक्का हो तब न ...
बहुत खूब ...

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

शुक्रिया।

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